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जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाजीगर - अतिलघु हिन्दी कथा

बाजीगर - अतिलघु हिन्दी कथा वो कमाल का बाजीगर था. वो  इंसानों को कठपुतली बनाकर नचाता. उसके हाथ सोने के थे. -डॉ शिखा कौशिक नूतन 

बदलता वक्त - बदलती सोच - अतिलघु हिन्दी कथा

सुनीता अपनी पड़ोसन के साथ बाजार से लौटते हुए एक बच्ची को घूरते अधेड़ उम्र के आदमी को देखकर उसकी ओर इशारा करते हुए  बोली - समय कितना बदल गया नी पहले ऐसे आदमी अपहरण करने वाले लगते थे और अब ये बलात्कारी प्रतीत होते हैं. "" पड़ोसन ने हां में गर्दन हिला दी. - डॉ शिखा कौशिक नूतन 

धैर्य - अति लघुकथा

धैर्य - अति लघुकथा जेठ  की सड़ी-चिपचिपी  गर्मी में दोपहर को भीड़ से ठसाठस भरी प्राइवेट बस से घर लौटते समय राघव ये समझ पाया कि धैर्य किसे कहते हैं ? जब सारी भीड़ लगातार ड्राइवर-कंडक्टर को बार बार बस रोककर यात्रियों को चढाने और उतारने पर कोसती रही और वो अपना काम बिना कोई जवाब दिए करते रहे | -डॉ शिखा कौशिक 'नूतन '

झूठ की तरक्की -अति लघुकथा

झूठ की तरक्की -अति लघुकथा बैंक के कोने पर सालों से चाय बनाकर बेचने वाले राजू को उसका मित्र  मुन्ना छेड़ते  हुए बोला- - राजू देख ना चाय बनाने वाले कहाँ  से कहाँ पहुँच गए और तू आज तक यहीं इस खोखे पर सड़ रहा है |'' राजू मुस्कुराता हुआ बोला -'' भईया मैं झूठ नहीं बोलता |'' डॉ शिखा कौशिक  'नूतन'