बदलाव - अतिलघु हिन्दी कथाएं "पूरब से सूरज उगा और पचछिम में डूब गया.... गर्मी, बरसात और फिर जाड़ा.... " गरीब भीखू ने अपने जीवन में इनके अलावा और कुछ बदलते देखा तो बस अपनी उम्र व काले से सफेद होते बाल. डॉ शिखा कौशिक नूतन
लाला जी ने अपने वफादार नौकर को कड़क आवाज़ लगाई - अरे निकम्मे रामो कहाँ है तू ? आकर ए.सी. तो ऑन कर.....'' रामो नंगें पैर लाला जी के तपते मार्बल के फर्श वाले आँगन को पार कर कमरे में घुसा और ए.सी. चला दिया। लाला जी राहत की साँस लेते हुए बोले- ' अबे हरामज़ादे तुझे गर्मी नहीं लगती तो क्या हमें भी गर्मी में मरवाएगा !!!
शाकाहारी - मांसाहारी-अतिलघु हिंदी कथा रैली में हुई भगदड़ से मारे गए लोगों की लाशों के पास खड़े, मुस्कुराते हुए मोबाईल पर बतियाते नेता जी को देखकर मनुज के मन में विचार आया - ये लाशों पर सियासत करने वाले सभी नेता नॉन-वेजेटेरियन होते हैं क्योंकि लोग मरते तो बाद में हैं पर ये उनका सारा खून तो पहले ही पी जाते हैं | -डॉ शिखा कौशिक
ईमान- अतिलघु हिंदी कथा अखबार एक ओर रखते हुए सुरेश ने सोचा -'क्या हो गया देश में सब के सब नेता बेईमान हो गए हैं '' तभी उसका मोबाईल बज उठा दूसरी ओर से कही गयी बात का जवाब देता हुआ वो बोला- 'मैं कुछ नहीं जानता जो ले दे कर राड़ा निपटता है निपटा दे ''